दो वक्त की रोटी ,
एक गाङी, चाहे हो छोटी ,
काफी है मेरे लिए ।
गर्मीयों में कुल्फ़ी का ठण्डा स्वाद ,
मा बाप का बrस्ता आशीर्वाद ,
काफी है मेरे लिए ।
आछा आचरण और तंदरुस्त बदन ,
एक सुन्दर और प्यारा सा सदन ,
काफी है मेरे लिए ।
दो वक्त की रोटी ,
एक गाङी, चाहे हो छोटी ,
काफी है मेरे लिए ।
गर्मीयों में कुल्फ़ी का ठण्डा स्वाद ,
मा बाप का बrस्ता आशीर्वाद ,
काफी है मेरे लिए ।
आछा आचरण और तंदरुस्त बदन ,
एक सुन्दर और प्यारा सा सदन ,
काफी है मेरे लिए ।